समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, December 29, 2008

चाणक्य संदेश: साँप में विष न हो तो भी फन फैला ही देता है

१. राजा, बालक, दूसरे का कुत्ता, मूर्ख व्यक्ति, सांप, सिंह और सूअर इन सात जीवों को सोते हुए से कभी नहीं जगाना चाहिए, इन्हें जगाने से मनुष्य को हानि ही हो सकती है लाभ नहीं। इनके आक्रमण करने से अपनी रक्षा करना कठिन होगा। अत: अच्छा यही है यदि वह सो रहे हैं तो उन्हें सोता छोड़ आगे बढ जाना चाहिए।
२. जो व्यक्ति निस्तेज यानी प्रभावहीन है न तो उसके प्रसन्न होने पर किसी व्यक्ति को अर्थ की प्राप्ति होती है न ही नाराजगी पर किसी सजा का भय ही प्रतीत होता है। जिसकी कृपा होने पर पुरस्कार न मिलता हो और न ही जो किसी को दण्ड देने का अधिकारी हो ऐसा व्यक्ति रुष्ट भी हो जाये तो कोई उसकी चिंता नहीं करता।
३. आज के युग में आडम्बर का अपना अलग ही महत्व है। वह झूठ भी हो तो भी आदमी को कुछ न कुछ लाभ मिल ही जाता है। सर्प के मुख में विष न हो तो भी वह मुख तो फैला ही देता है जिससे लोग भयभीत होकर पीछे जाते हैं। उसकी फुफकार ही दूसरों को डराने और अपनी रक्षा करने में पर्याप्त होती है। यदि सर्प अपने फन भी न फैलाये तो कोई बच्चा भी मार डालेगा। इसलिये कुछ न कुछ आडम्बर करना हर प्राणी के लिए आवश्यक है

४. संसार के दुखों से दुखित पुरुष को तीन ही स्थान पर थोडा विश्राम मिलता है- वह हैं संतान, स्त्री और साधू
५. राजा की आज्ञा, पंडितों का बोलना और कन्यादान एक ही बार होता है।
६. एक व्यक्ति का तपस्या करना, दो का एक साथ मिलकर पढ़ना, तीन का गाना, चार का मिलकर राह काटना, पांच का खेती करना और बहुतों का मिलकर युद्ध करना
७. पक्षियों में कोआ, पशुओं में कुत्ता और मुनियों में पापी चांडाल होता है पर निंदा करने वाला सबसे बड़ा चांडाल होता है।
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

No comments:

अध्यात्मिक पत्रिकायें

वर्डप्रेस की संबद्ध पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकायें