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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, May 28, 2019

वादे के पुलिंदे पकडा़ दिये जकड़े रहो-दीपकबापूवाणी (Vade ki pulinde pakda diye-DeepakBapuWani)

समय पर दोस्ती दिखाना है शातिर अंदाज़, हर इंसान में बसा है एक चालाक बाज़ं
मुंह से आदर्शों की बात करते सब, ‘दीपकबापू’ छिपाते अपने स्वार्थ साधने के राज़।।
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लोकतंत्र में बोलने की आजादी चाहिये, वक्ता गाली देने का आदी होना चाहिये।
‘दीपकबापू’ वोट की जंग में पागलपन चलाते, जीतें ठीक हारें तो बरबादी चाहिये।।
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वादे के पुलिंदे पकडा़ दिये जकड़े रहो, नारों के साथ झडे थमा दिये पकड़ रहो।
‘दीपकबापू’ जिंदगी चले सबकी भगवान भरोसे, राजा लोगों तुम चाहे अकड़े रहो।।
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मुंह से खाने की हद सब नहीं जानते, बोलने को आतुर अपना कद नहीं जानते।
बृहद गगन तले पाया छोटा हिस्सा, ‘दीपकबापू’ फूले हैं अपना पद नहीं जानते।।

Sunday, October 08, 2017

अभी तक पेट्रोल के भाव कम क्यों नहीं हुए, लोग अब वादों और नारों से बोर रहे रहे हैं-हिन्दी लेख (Why din not prize decrease of Petrol, log is bor from Slogen and promise-HindiArticle0


                                             कल पेट्रोल सस्ते होने और जीएसटी में मध्यम वर्ग के व्यवसायियों की राहत पर भक्तों के शीर्ष पुरुषों की सक्रियता की खबर थी। वैसे तो भक्तों का इष्ट स्वयं ही सब कर सकता है पर वह अपने मातहत पर डाल देता है। मातहत मंत्रालय पर डालता है और मंत्रालय सर्वसम्मति का शिगूफा छोड़ देता है। पता नहीं यह बंदर जैसी उछलकूल कब तक चलेगी और कब तक भक्त यह कहते रहेंगे कि देखो हम प्रयास कर रहे हैं। जब भक्तों के हाथ में सब है तब कुछ नहीं हो रहा तो फिर चीन या पाकिस्तान से क्या करा लेंगे। कभी विपक्ष से ही पेट्रोल को जीएसटी में शामिल करने की तो कभी अपने ही दल की राज्य सरकारों से वेट कम करने की अपील। करे जाओ मजाक करे जाओ। सत्ता में बैठा व्यक्ति चाहे जैसी मजाक कर सकता है। एक्साईज ड्यूटी जो भक्तों का इष्ट स्वयं ही कर सकता                                                    विपक्षी तो कभी तेल के भाव कम नहीं करने देंगे क्योंकि 2019 में भक्तों के हराने के लिये बड़ी मुश्किल से बड़ा मुद्दा उनके हाथ आया है। एक बात बता दें कि शिखर पुरुष इस भ्रम में रहे कि अन्य संवेदनशील मुद्दों पर भक्तों को भरमाते रहेंगे।  सच तो यह है कि 2019 के चुनाव में पेट्रोल के भावों के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध कमजोर लड़ाई तथा कालेधन को पाने का मुद्दा भक्तों के सिर पर ही फूटना है। नोटबंदी और सर्जीकल स्ट्राइक का मुद्दा अब पुराना पड़ गया है। जिस तरह महंगाई बढ़ रही है और भ्रष्टाचारी दुगुने दाम ले रहे हैं उससे लोग नोटबंदी शब्द ही चिढ़ गये हैं। उधर पाकिस्तान रोज दो तीन सैनिक मार रहा है तो सर्जीकल स्ट्राइक पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। भक्तों के शिखर पुरुष आज भी पुरानी दुनियां में जी रहे हैं और हर संकट में विपक्षियों पर ताना कसते हैं। यह अब चलने वाला नही हैं क्योंकि विपक्ष को उनके कारनामों की सजा 2014  में मिल गयी है और 2019 में भक्त पार्टी को अपनी सफलताओं पर जनमत पाना है। जिस तरह हिन्दू समाज तथा उसके मध्यम वर्ग में हताशा बढ़ रही है उसे भक्तों को ही झेलना है और यही उसका स्थाई मतदाता है। अगर भक्तों के शिखर पुरुष दूसरे वर्गो में अपने लिये उम्मीद देख रहे हैं तो कहना कठिन है कि वह कितना सफल होंगे। बहरहाल पुराने वर्ग को सीढ़ी बनाकर सिंहासन पर चढ़ गये और अब अपने पूर्ववर्ती सरकार के सिद्धांत के अनुसार उसे गिरा भी दिया। अब विपक्षियों पर प्रहार कर अपनी महानता दिखाने के प्रयास से भक्तजन नाराज हो रहे हैं और लगता नहीं कि अहंकार में डूबे भक्तों के रणनीतिकार इसकी परवाह करते हैं।                                            अब मुफ्त के माल के फायदे पूछने हों तो पाकिस्तान के विद्वानों से ही पूछ लो। वहां चीन ने बस प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान को ऋण देते हुए 3.75 अरब रुपये लगाये और एक वर्ष में ही तीन अरब फायदा कमा लिया। मतलब यह कि अब उसकी पूंजी तो एक ही साल में निकल गयी और अब बरसों तक वह पैसे कमायेगा। इस विनिवेश की राशि का भुगतान भी पाकिस्तान को ही करना है जिसकी चुकाने की उसकी क्षमता नहीं है। अब पाकिस्तान उस  ब्याज चुकाया सो अलगपाकिस्तान टीवी चैनलों ंपर बहुत से विद्वान तो चीन पाकिस्तान व्यापारिक गलियारे पर भी चीत्कार कर रहे हैं। चीन वहां उसे कर्ज के रूप में पूंजी लगा रहा है उससे कमाई करेगा और पाकिस्तान से ब्याज भी वसूल करेगा विद्वानों के  अनुसार तो यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के लिये ऐसा ही है किखाया पीया कुछ नहीं ग्लास तोड़ा 12 आने। इधर भारतीय विद्वान भी बुलैट ट्रेन के बारे में यही कह रहे हैं पता नहीं सच क्या है?
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