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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, October 16, 2016

भारत को अपनी हिन्दू छवि के साथ आगे बढ़ना होगा-हिन्दी लेख (India Should Go ahead with his Hindu Imege-HindiArticle & Editorial)


अमेरिका में राष्ट्रपति के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि ‘मैं हिन्दू तथा भारत का प्रशंसक हूं।’ विश्व के किसी बड़े विदेशी नेता ने ‘हिन्दू’ शब्द से प्रेम का जो प्रदर्शन किया है उससे अनेक लोगों की छाती पार सांप लौट जायेगा। वैसे आज तक हमने किसी भारतीय नेता के मुख से नहीं सुना कि वह हिन्दू धर्म का प्रशंसक है इसलिये डोनाल्ड ट्रम्प के बयान ने चौंका दिया-हालांकि वह सीधे अरेबिक विरोधी छवि के माने जाते हैं इसलिये हिन्दू धर्म की प्रशंसा का यही अर्थ है कि वह मानकर चल रहे हैं कि दोनों की विचाराधारा में कहीं न कहीं संघर्ष है। भारत में अन्य की तो छोड़िये हिन्दू धर्म की रक्षा का दावा करने वाले राष्ट्रवादी भी यह सच कहने से संकोच करते हैं।
अब हम पाकिस्तान की चर्चा करें। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर चर्च सुने तो वहां विद्वान स्पष्टतः हिन्दू धर्म के प्रति घृणा व्यक्त करते हैं। अगर हम उनकी तर्कों का विश्लेषण करें तो यह साफ हो जाता है कि भारत के हिन्दू बाहुल्य रहते कभी मित्रता तो हो ही नहीं सकती। पाकिस्तान आतंकवादी देश है कहकर हम बच निकलते हैं पर सच यह है कि वह हिन्दू विरोधी विचार का संवाहक है। वह आतंकवाद को संरक्षण इसलिये देता है कि हिन्दू बाहूल्य भारत को तबाह किया जा सके। भारत के नेता यह सच बताने में डरते हैं कि पाकिस्तान भारत के साथ हिन्दू धर्म का भी बैरी है। वह कश्मीर पर कब्जा इसलिये करना चाहता है कि वहां हिन्दू जनसंख्या कम है-इतना ही नहीं आतंकवाद के प्रवाह के चलते वहां से पंडितों का सामूहिक पलायन भी हुआ। हैरानी इस बात की कि आज भी हिन्दूत्व के रक्षक पंडितों की वापसी के बिना कश्मीर समस्या के हल की बात नहीं कह पाते।
हमारा मानना है कि वह हिन्दू हिन्दू कहकर अमारे पीछे पड़ा है तो फिर हम क्यों पंथनिरपेक्षता की दुहाई देकर अपना मुंह छिपाते हैं। अगर पाकिस्तान का नाम विश्व के पटल से मिटाना है तो हमें भी हिन्दू की तरह दृढ़ता से योद्धा बनकर उसे न केवल अस्त्र शस्त्र वरन् शास्त्र के ज्ञान से उसके सामने खड़ा होगा। इतना ही नहीं चीन को भी यह समझाना होगा कि बौद्ध बाहुल्य होने के कारण हम उसके प्रति सद्भाव रखते हैं-यह तभी संभव है जब हम हिन्दू छवि के साथ उसके साथ व्यवहार करें।
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एक सच्चा हिन्दू वैश्विकवादी होता है जो भक्ति भाव से समाज के लिये निष्काम भाव से काम करता है। वह संकीर्ण विचार का नहीं होता। हिन्दू हमेशा ही अपने जीवन में संघर्ष तथा समाज के लिये कल्याण के लिये तत्पर रहता है। वह स्त्री-पुरुष का भेद नहीं करता।

Monday, October 10, 2016

भारत की शक्तिमान छवि से चीन की बौखलाहट सामने आने लगी-हिन्दी संपादकेीय( China feel Tension form Powerful Imege of India-Hindi Editorial)

                                        चीन का यह कहना कि आतंकवाद की लड़ाई का राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिये-अब समझ आ गया कि जब पाकिस्तानी हरकतों का जवाब पहले भारतीय सेना देती तो उसका प्रचार किसके दबाव में क्यों नहीं किया जाता था? मतलब यह कि जनता के खून पसीने की कमाई से जो सेना ताकतवर हो रही है उसका प्रचार कर देश का मनोबल न बढ़ाओ।  वह हमेशा सहमी सहमी चीनी सामानों को खरीदती रहें। इतना ही नहीं भारतीय जनमानस का मनोबल इतना गिरा रहे कि वहां वामपंथ तथा उग्र अरेबिक विचाराधारा का मुकाबला करने वाले विद्वान आगे न आयें।  भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा में पूरे विश्व का बौद्धिक परिवर्तन की संभावनायें रहती हैं जिससे वामपंथी और अरेबिक विचारधारा के विद्वान बहुत डरते हैं। हमारा मानना है कि सरकार ने अच्छा किया कि उरी हमले का बदला लेने का जमकर प्रचार किया।  भारत की एक ताकतवर छवि बनने से त्रस्त चीन का बौखलाना अच्छा लग रहा है।
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                 पाकिस्तान के बारे में देश का बुद्धिमान समूह भ्रमित रखता है। वहां सज्जन से सज्जन आदमी भी हिन्दूओं से दोस्ताना निबाहने की बात ऐसे कहता है जैसे कि पराये हों-उसकी नज़र में हिन्दू दोयम दर्जे का इंसान है।  पता नहीं इन बुद्धिमानों को यह समझ में क्यों नहीं समझ में आ रहा है कि वहां के जनमानस में हिन्दूओं को मिटते देखने का विचार रहता ही है।  अरेबिक विचारधारा, कथा साहित्य, तथा महापुरुषों के अलावा संसार में कुछ भी अच्छा नहीं है।  उर्दु शायरों की क्षणिक आवेश में रची गयी शायरियां उनका दर्शन है।  हमने तो वहां के टीवी चैनलों को देखकर मान लिया है कि भारत पाकिस्तान में दोस्ताना संबंध इस प्रथ्वी पर युग परिवर्तन से पूर्व संभव नहीं है। कथित रूप से निरपेक्ष विद्वान अगर पेशेवर लाभ के लिये यह सपना दिखा रहे हैं तो ठीक है पर अगर स्वयं भी उसका शिकार है तो उन्हें बचना चाहिये।
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                               19 जवानों की शहादत! जवाबी कार्यवाही! बहस में ढेर सारे विज्ञापन! जवाब पूरा नहीं होता कि ब्रेक! फिर एक सवाल कि फिर ब्रेक! अगर इसी तरह पाकिस्तान पर हर महीने एक कार्यवाही हो जाये तो प्रचार जगत को सनसनी खबरों की जरूरत नही होगी।
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               दो भारतीय जवानों के सिर के बदल पाकिस्तान के तीन सिर काटे गये। अंतर्राष्ट्रीय तौर पर भारत अपनी छवि देखते हुए कभी स्वीकार नहीं कर सकता था, यह सत्य है। पाकिस्तानी तो बद होने के साथ बदनाम है और वह अपनी करतूतों को अराजकीय तत्वों की बताकर छिप जाता है पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस तरह सिर काटना अपराध है अतः इस खबर को अब प्रकाशित करने वाले देश का नाम बदनाम कर रहे हैं। 2011 की इस कार्यवाही पर अधिक सरकार नहीं बोल सकती पर उरी के बदले की कार्यवाही पर चाहे जितना डंका पीट सकती है क्योंकि वह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सही है।
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