बात कहै सतलोक की, कर गहि पकड़ै चोर
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि सच बोलने पर दुनियां के लोग मारने और लड़ने को दौड़ पड़ते हैं। इस संसार के लोग तो सच बोलने वाले को चोर कहकर उसका हाथ पकड़ लेते हैं।
सांचै कोइ न पतीयई, झूठै जग पतियाय
पांच टका का धोपटी, सात टके बिक जाय
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि सत्य में कोई विश्वास नहीं करता और लोग झूठ के झांस में आसानी से फंस जाते हैं। यही कारण है कि झूठ बोलने वाले व्यापारी का सामान अधिक दाम पर बिक जाता है।
सांचे कोई न पतीयई, झूठै जग पतिपाय
गलीगली गो रस फिरै, मदिरा बैठ बिकाय
संत शिरोमणि कबीरदास जी के अनुसार सत्य के महत्व कोई नहीं जानता और इसलिये उसका साथ नहीं देता। जैसे दूध और दही बेचने वाले तो घूमकर उसे बेचते हैं पर शराब दुकान पर ही बैठे बिक जाती है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-संत कबीर दास जी के संदेशों को देखें तो यह बात समझ में आती है कि समाज में वह सारे दोष उनके समय में भी मौजूद थे जैसे आज हैं। हमारे देश में शायद ज्ञान का भंडार इसलिये ही भरता रहा है क्योंकि यहां अज्ञानियां और अल्प ज्ञानियों की संख्या अधिक रही है। इसे हम यह भी कह सकते हैं कि अपने देश के लोग सीदे सादे और सहजता से विश्वास करने वाले हैं। सच हमेशा बिना लाग लपेटे के कहा जाता है इसलिये किसी के समझ में नहीं आता। झूठ हमेशा शाब्दिक सौंदर्य और चतुराई से कहा जाता है इसलिये लोग उस पर यकीन कर लेते हैं। इसलिये ही झूठे और मक्कार लोगों का सिक्का आसानी से चल जाता है। इसके अलावा एक बात यह भी है कि अपने देश में अधिकतर लोगों को अपनी झूठी प्रशंसा सुनने की आदत होती है। उनको अगर कोई अपने बारे में कटु सत्य कहा जाये तो वह झगड़े पर आमादा हो जाते हैं।
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1 comment:
बहुत बढिया विचार प्रेषित किए हैं।
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