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Wednesday, September 02, 2009

विदुर नीति-जब राजा दुष्ट की सलाह पर चले तो उससे दूर रहें (vidur niti-raja aur dusht ki salah)

न निह्यवं मन्त्र गचछेत संसृष्टमन्त्रस्य कुसंगतस्य।
न च ब्रूयात्रश्वसिमि त्वयीति संकारणं व्यपदेशं तु कुर्यात्
हिंदी में भावार्थ-
जब कहीं भरी सभा में राजा-वर्तमान संदर्भ में कहें तो अपने से शक्तिशाली व्यक्ति-दुष्ट सलाहकारों से सलाह ले रहा है तब उसकी किसी बात का खंडन नहीं करना चाहिये। साथ ही वहां उसके प्रति किसी प्रकार का अविश्वास भी नहीं प्रकाट करना चाहिये।

न विश्वासाज्जातु परस्य गेहे गच्छेन्नरश्चेतवानो विकालो।
न चत्वरे निशि तिष्ठिन्न्गिुडो राजकाययां योषितं प्रार्थचीत।।
हिंदी में भावार्थ-
सावधानी की दृष्टि से कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति के घर सायंकाल नहीं जाना चाहिये जिस पर विश्वास न हो। रात में छिपकर चैराहे पर न खड़ा हो और राजा-वर्तमान संदर्भ में हम उसे अपने से शक्तिशाली व्यक्ति भी कह सकते हैं-जिस स्त्री को पाना चाहता है उसे पाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिये।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-जीवन में सावधानी से चलना बहुत आवश्यक है। अगर हम अपने आसपास ऐसे लोगों को देखें जिन्होंने धोखा खाकर कष्ट उठाया या जीवन से हाथ धोया है तो उनकी स्वयं की असावधानी का परिणाम होता है। ऐसे में जीवन में कुछ सावधानी रखकर अगर आनंद उठाया जा सकता है तो उसमें कोई दोष नहीं है। जिस व्यक्ति के प्रति मन में अविश्वास हो उसके घर शाम को कतई नहीं जाना चाहिये। हमारे जीवन में कई ऐसे लोग हैं जिनके साथ हमारा सतत संपर्क रहता है पर हम उन पर विश्वास नहीं करते ऐसे लोगों के घर जाने पर ऐसी सावधानी जरूरी है।
उसी तरह कहीं ऐसी सभा हो रही हो जहां अपने से शक्तिशाली व्यक्ति मौजूद हो और वह मूर्ख तथा दुष्ट प्रकृत्ति के लोगों से सलाह ले रहा हो तो उसका प्रतिवाद नहीं करना चाहिये। शक्तिशाली व्यक्ति से तो हम वैसे ही लड़ सकते पर अगर दुष्ट अपने प्रतिवाद से उत्तेजित हो गया तो प्रहार भी कर सकता है और अपमान भी। शक्तिशाली व्यक्तियों को चाटुकारिता बहुत पंसद होती है और वह अपने चाटुकारों की रक्षा के लिये किसी भी सज्जन व्यक्ति पर शारीरिक या शाब्दिक आक्रमण कर सकते हैं।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

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