पीत्वाऽध्येघ्यमाणश्च आचामेत्प्रयतोऽपि सन्।।
हिंदी में भावार्थ-सोने, छींकने,खाने,और झूठ बोलने के बाद अपनी शुद्धि पानी पीकर करनी चाहिऐ। इसके बाद ही अध्ययन करने से पहले एक बार पानी का आचमन करें।
वान्तो विरिक्तिः स्नात्वा तृ घृतप्राशनमारेत्।
आचामेदेव भुक्तवाऽन्नं स्नानं मैथुनिनः स्मृतम्।।
हिंदी में भावार्थ-उल्टी तथा दस्त करने वाला व्यक्ति नहाकर घी खाने से शुद्धता को प्राप्त कर लेता है। भोजन ग्रहण कर कै करने वाला आचमन करने तथा संभोग करने वाला स्नान करने से शुद्धता को प्राप्त कर लेता है।
उच्छिष्टे तु संस्पृष्टो द्रव्यहस्तः कथंचन।
अनिधायैव तद्द्रव्यमाचान्तः शुचितामियात्।।
हिंदी में भावार्थ-यदि जूठे मूंह वाले व्यक्ति ने हाथ से किसी द्रव्य को छू लिया तो भी उस द्रव्य को हाथ में लेकर पानी से आचमन करने से मनुष्य की अपवित्रता नष्ट हो जाती है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
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