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Thursday, February 26, 2009

कबीर के दोहे: खरी कसौटी पर तौला जाए तो खोट निकल आता है

हीरा पाया पारखी, धन महं दीन्हा आन
चोट सही फूटा नहीं, तब पाई पहचान

पारखी ने ने हीरा प्राप्त कर लिया और उसकी धन के रूप में कीमत भी आंक ली पर जब चोट की तो वह फूटा नहीं और तब पहचान हुई कि वह कितना मजबूत है।
संक्षिप्त व्याख्या-जब किसी को ज्ञान प्राप्त होता है तो उसको लगता है कि अच्छा हुआ कि वह उसे प्राप्त हो गया और कभी काम आयेगा-उस समय वह उसे सामान्य बात मानता है। जब वक्त पर उसकी परीक्षा वह करता है और अनुभव करता है कि उसका ज्ञान वाकई प्रभावपूर्ण है जो उसके उपयोग करने में चूक नहींे हुई तब उसकी प्रसन्नता का पारावर नहीं रहता। अगर किसी मनुष्य के पास ज्ञान रहता है तो वह विपत्ति आने पर उसकी रक्षा करता है और आदमी चोट खाकर विचलित नहीं होता।

खरी कसौटी तौलतां, निकसि गई सब खोट
सतगुरु सेना सब हनी, सब्द वान की चोट


जब खरी कसौटी पर परीक्षा की जाती है तो सब खोट निकल जाता है। झूठे शब्दों की सेना को सतगुरू का ज्ञान ध्वस्त कर देता है।

संक्षिप्त व्याख्या-झूठ कितना भी बोला जाये अगर उसकी परीक्षा सत्य की कसौटी पर की जाये तो वह पकड़ जाता है उसके लिये जरूरी है ज्ञान होना और ज्ञान के लिये आवश्यक है कोई गुरू होना। कई लोग कहते हैं कि हम बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त कर लेंगे पर यह संभव नहीं है। गुरु से आशय यह नहीं है कि कोई संत या सन्यासी हो। जीवन में कई ऐसे लोग होते हैं जो हमें जीवन के बारे में बताते हैं उनको गुरु मानते हुए उनकी बात हृदय में धारण करना चाहिए।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

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