अवाविशरास्समस्यन्धे कित्वषी नरकं व्रजेत्।
च प्रश्नवितर्थ ब्रूयात्पृष्ठः सनधर्मनिश्चये।।
हिन्दी में भावार्थ-धर्म के विषय पर पूछे जाने पर उसका उत्तर झूठा देने वाला भयानक अंधेरे से भरे नरक में गिरता है।
च प्रश्नवितर्थ ब्रूयात्पृष्ठः सनधर्मनिश्चये।।
हिन्दी में भावार्थ-धर्म के विषय पर पूछे जाने पर उसका उत्तर झूठा देने वाला भयानक अंधेरे से भरे नरक में गिरता है।
एकोऽहमस्मीत्यात्मानं यत्तवं कल्याण मन्यसे।
नित्यं स्थितस्ते हृद्येष पुण्यपापेक्षिता मुनिः।।
हिन्दी में भावार्थ-यदि कोई मनुष्य यह सोचकर झूठा साक्ष्य दे रहा है कि वह अकेला है और उसे कोई नहीं देख रहा तो वह गलती पर है क्योंकि पाप और पुण्य को देखने वाला परमात्मा सभी के हृदय में रहता है।
अनेक बार विवादों में लोग झूठे गवाह बन जाते हैं। तब वह सोचते हैं कि कोई उनको देख नहीं रहा पर यह उनका भ्रम है। हमारी देह में रहने वाला आत्मा तो परमात्मा का ही अंश है जो सब देखता है और कहीं न कहीं अपने अपराध के लिये धिक्कारता है यह अलग बात है कि कुछ लोग उसे समझ पाते हैं कुछ नहीं।फिर एक बात याद रखना चाहिए कि हमारे द्वारा बोला गया झूठ कभी न कभी पकड़ा जायेगा और उसके दुष्परणिाम भी हमको भोगने होंगे। इसलिये कभी भी न तो किसी पर झूठा अभियोगलगाना चाहिये न किसी झूठे के लिये गवाही देना चहिये।
संकलक, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwaliorhttp://deepkraj.blogspot.com
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1 comment:
How long they will lie ?
Nice post !
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