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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, October 10, 2016

भारत की शक्तिमान छवि से चीन की बौखलाहट सामने आने लगी-हिन्दी संपादकेीय( China feel Tension form Powerful Imege of India-Hindi Editorial)

                                        चीन का यह कहना कि आतंकवाद की लड़ाई का राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिये-अब समझ आ गया कि जब पाकिस्तानी हरकतों का जवाब पहले भारतीय सेना देती तो उसका प्रचार किसके दबाव में क्यों नहीं किया जाता था? मतलब यह कि जनता के खून पसीने की कमाई से जो सेना ताकतवर हो रही है उसका प्रचार कर देश का मनोबल न बढ़ाओ।  वह हमेशा सहमी सहमी चीनी सामानों को खरीदती रहें। इतना ही नहीं भारतीय जनमानस का मनोबल इतना गिरा रहे कि वहां वामपंथ तथा उग्र अरेबिक विचाराधारा का मुकाबला करने वाले विद्वान आगे न आयें।  भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा में पूरे विश्व का बौद्धिक परिवर्तन की संभावनायें रहती हैं जिससे वामपंथी और अरेबिक विचारधारा के विद्वान बहुत डरते हैं। हमारा मानना है कि सरकार ने अच्छा किया कि उरी हमले का बदला लेने का जमकर प्रचार किया।  भारत की एक ताकतवर छवि बनने से त्रस्त चीन का बौखलाना अच्छा लग रहा है।
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                 पाकिस्तान के बारे में देश का बुद्धिमान समूह भ्रमित रखता है। वहां सज्जन से सज्जन आदमी भी हिन्दूओं से दोस्ताना निबाहने की बात ऐसे कहता है जैसे कि पराये हों-उसकी नज़र में हिन्दू दोयम दर्जे का इंसान है।  पता नहीं इन बुद्धिमानों को यह समझ में क्यों नहीं समझ में आ रहा है कि वहां के जनमानस में हिन्दूओं को मिटते देखने का विचार रहता ही है।  अरेबिक विचारधारा, कथा साहित्य, तथा महापुरुषों के अलावा संसार में कुछ भी अच्छा नहीं है।  उर्दु शायरों की क्षणिक आवेश में रची गयी शायरियां उनका दर्शन है।  हमने तो वहां के टीवी चैनलों को देखकर मान लिया है कि भारत पाकिस्तान में दोस्ताना संबंध इस प्रथ्वी पर युग परिवर्तन से पूर्व संभव नहीं है। कथित रूप से निरपेक्ष विद्वान अगर पेशेवर लाभ के लिये यह सपना दिखा रहे हैं तो ठीक है पर अगर स्वयं भी उसका शिकार है तो उन्हें बचना चाहिये।
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                               19 जवानों की शहादत! जवाबी कार्यवाही! बहस में ढेर सारे विज्ञापन! जवाब पूरा नहीं होता कि ब्रेक! फिर एक सवाल कि फिर ब्रेक! अगर इसी तरह पाकिस्तान पर हर महीने एक कार्यवाही हो जाये तो प्रचार जगत को सनसनी खबरों की जरूरत नही होगी।
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               दो भारतीय जवानों के सिर के बदल पाकिस्तान के तीन सिर काटे गये। अंतर्राष्ट्रीय तौर पर भारत अपनी छवि देखते हुए कभी स्वीकार नहीं कर सकता था, यह सत्य है। पाकिस्तानी तो बद होने के साथ बदनाम है और वह अपनी करतूतों को अराजकीय तत्वों की बताकर छिप जाता है पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस तरह सिर काटना अपराध है अतः इस खबर को अब प्रकाशित करने वाले देश का नाम बदनाम कर रहे हैं। 2011 की इस कार्यवाही पर अधिक सरकार नहीं बोल सकती पर उरी के बदले की कार्यवाही पर चाहे जितना डंका पीट सकती है क्योंकि वह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सही है।
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