समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, December 12, 2015

भारतीय धर्म ही पंथनिरपेक्ष है-हिन्दी चिंत्तन लेख (Indian relgion is natural panthnirpeksh-Hindu spritual thought article)

                           इस समय देश में धर्मनिरपेक्षता पर बहस चल रही है। कुछ पेशेवर विचारक कहते हैं कि हमारी संस्कृति धर्म निरपेक्ष है जबकि अध्यात्मिक चिंत्तकों का मानना है कि धर्म धारण करने का विषय है।
                           गीता में कर्म ही धर्म का पर्याय है जिससे मनुष्य निरपेक्ष नहीं रह सकता। उसमें भक्ति के तीन प्रकार पंथनिरपेक्षता का सटीक प्रमाण है। भारतीय ज्ञान के अनुसार कर्म ही धर्म रूप है जिससे निरपेक्षता संभव नहीं है पर भक्ति के किसी भी रूप से भेद न रखकर पंथनिरपेक्ष होना ही चाहिये।
                            भारतीय अध्यात्मिक दर्शन पर चलने वाले कर्म में ही धर्म देखते हैं इसलिये निरपेक्ष नहीं होते। भक्ति के प्रथक रूप स्वीकार करने कारण पंथरिनपेक्ष तो स्वाभाविक रूप से होते ही हैं।
                          विश्व में अकेला भारतीय ज्ञान ही कर्म निर्वाह ही धर्म मानता है तो भक्ति के अनेक रूप को स्वीकार कर पंथनिरपेक्ष रहने की प्रेरणा भी देता। आपकीबात आज भी आम भारतीय धर्मनिरपेक्षता शब्द से आत्मीय संबंध नहीं जोड़ पता क्योंकि वह स्वाभाविक रूप से पंथनिरपेक्ष होता ही है।
-------------
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

No comments:

अध्यात्मिक पत्रिकायें

वर्डप्रेस की संबद्ध पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकायें