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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, September 11, 2015

हिन्दी में लिखना भी एक तरह से व्यसन है-14 सितंबर 2015 पर हिन्दी दिवस पर नया पाठ(Writting ih Hindi As Adiction-New post on hindi diwas, hindi day,specil hindi article)

                                    एक सप्ताह में अगर किसी ब्लॉग लेखक के पाठ अगर अंतर्जाल पर दो लाख से ज्यादा पाठकों के सामने दिखते हैं तो उसकी लोकप्रियता की कौनसी श्रेणी में रखना चाहिये?
14 सितम्बर हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हम अंतर्जाल पर सन् 2007 से हिन्दी दिवस पर अनेक पाठ लिख चुके हैं। हमें यह पता नहीं है कि इंटरनेट पर अन्य हिन्दी लेखकों की क्या स्थिति है पर इतना जानते हैं कि अगर हिन्दी की बात हो तो कम से कम हमें प्रोत्साहित करने वाला एक भी शख्स नहीं मिला।  अगर स्वप्रेरणा और लेखन का व्यसन न होता तो शायद निरंतर नहीं लिख पाते।  आखिर हमने अंतर्जाल पर लिखते हुए क्या पाया? अगर अर्थ की बात है तो सब निरर्थक रहा पर अगर ज्ञान की बात है तो वह स्वर्णिम भंडार बढ़ता ही रहा है।  कबीर, चाणक्य, विदुर, भर्तृहरि, रहीम, मनु और कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर जितना समझा उससे कम ही लिख पाये।  श्रीमद्भागवत गीता और गुरुग्रंथसाहिब के अभ्यास ने तो मानसिक रूप से इतना परिपक्व बना दिया है कि अपने लिखे पाठों की प्रतिक्रिया के इंतजार अब आंखें या मन नहीं थकाते। लिखने में परिश्रम बहुत होता है पर लेखन के व्यसन ने हमेशा ही साथ दिया।
                                   दरअसल हमने यह पाठ 14 सितंबर हिन्दी दिवस 2015 के अवसर पर अपने ब्लॉगों पर पाठक संख्या की बढ़ती संख्या को देखते हुए लिखा। कल सभी ब्लाग पर करीब 20 हजार पाठ पाठन पाठक संख्या थी।  13 सितंबर तक यह संख्या चालीस हजार तक पहुंच सकती है।  करीब एक सप्ताह में दो लाख से अधिक पाठक इस लेखक के पाठों के संपर्क में आयेंगे। असंगठित, स्वतंत्र और अध्यात्मिक लेखक होने के नाते इतनी संख्या अंतर्जाल पर जुटाना अपने आप में एक जोरदार अनुभव होगा। हिन्दी में लिखने के व्यसन का आनंद इसी हिन्दी सप्ताह में अधिक ही आता है।
इधर विश्व हिन्दी सम्मेलन हो रहा है इसमें इस बात पर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिये कि अगली पीढ़ी कागज पर नहीं वरन् कंप्यूटर अंतर्जाल के लिये लिखेगी। अंतर्जाल पर हिन्दी लिखने की स्वाभाविक सुविधायें जुटाने का विचार विश्वहिन्दीसम्मेलन में होना चाहिये। शेष लिखते ही रहेेंगे।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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