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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, June 09, 2015

योग विरोधियों के सामने उपेक्षासन करें-21 जून विश्व योग दिवस पर हिन्दी चिंत्तन लेख(yog virodhiyon ke samane upekshasan karen-hindi thought article on world yoga day, yoga diwas on 21 june)

                  21 जून विश्व योग दिवस जैसे जैसे करीब आता जा रहा है वैसे वैसे भारतीय प्रचार माध्यम भारतीय अध्यात्मिक विचारधारा न मानने वाले समुदायों के कुछ लोगों को ओम शब्द, गायत्री मंत्र तथा सूर्यनमस्कार के विरोध करने के लिये बहस में निष्पक्षता के नाम पर बहसों में आगे लाकर अपने विज्ञापन का समय पास कर रहे हैं। हमारा मानना है कि भारतीय योग विद्या को विश्व पटल पर स्थापित करने के इच्छुक लोगों को ऐसी तुच्छ बहसों से दूर होना चाहिये। उन्हें विरोध पर कोई सफाई नहीं देना चाहिये।
                 योग तथा ज्ञान साधक के रूप में हमारा मानना है कि ऐसी बहसों में न केवल ऊर्जा निरर्थक जाती है वरन् तर्क वितर्क से कुतर्क तथा वाद विवाद से भ्रम उत्पन्न होता है।  भारतीय प्रचार माध्यमों की ऐसे निरर्थक बहसों से योग विश्वभर में विवादास्पद हो जायेगा। विश्व योग दिवस पर तैयारियों में लगी संस्थायें अब विरोध की सफाई की बजाय उसके वैश्विक प्रचार के लिये योग प्रक्रिया तथा विषय का प्रारूप बनाने का कार्य करें। जिन पर इस योग दिवस का जिम्मा है वह अगर आंतरिक दबावों से प्रभावित होकर योग विद्या से छेड़छाड़ करते हैं तो अपने ही श्रम को व्यथ कर देंगे।
           हम यहां बता दें कि भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा का देश में ही अधिक विरोध होता है। इसका कारण यह है कि जिन लोगों ने गैर भारतीय विचाराधारा को अपनाया है वह कोई सकारात्मक भाव नहीं रखते। इसके विपरीत यह कहना चाहिये कि नकारात्मक भाव से ही वह भारतीय अध्यात्मिक विचाराधारा से दूर हुए हैं।  उन्हें समझाना संभव नहीं है।  ऐसे समुदायों के सामान्य जनों को समझा भी लिया जाये पर उनके शिखर पुरुष ऐसा होने नहीं देंगे। इनका प्रभाव ही भारतीय विचाराधारा के विरोध के कारण बना हुआ है। वैसे हम एक बात समझ नहीं पाये कि आखिर चंद लोगों को गैर भारतीय विचाराधारा वाले समुदायों का प्रतिनिधि कैसे माना जा सकता हैसमझाया तो भारतीय प्रचार माध्यमों के चंद उन लोगों को भी नहीं जा सकता जो निष्पक्षता के नाम पर समाज को टुकड़ों में बंटा देखकर यह सोचते हुए प्रसन्न होते हैं कि विवादों पर बहसों से उनके विज्ञापन का समय अव्छी तरह पास हो जाता है।
योग एक विज्ञान है इसमें संशय नहीं है। श्रीमद्भागवत गीता संसार में एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें ज्ञान तथा विज्ञान है। यह सत्य भारतीय विद्वानों को समझ लेना चाहिये।  विरोध को चुनौती समझने की बजाय 21 जून को विश्व योग दिवस पर समस्त मनुष्य योग विद्या को सही ढंग से समझ कर इस राह पर चलें इसके लिये उन्हें मूल सामग्री उलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिये।  विरोधियों के समक्ष उपेक्षासन कर ही उन्हें परास्त किया जा सकता है। उनमें  योग विद्या के प्रति सापेक्ष भाव लाने के लिये प्रयास करने से अच्छा है पूरी ऊर्जा भारत तथा बाहर के लोगों में दैहिक, मानसिक तथा वैचारिक रूप से स्वस्था रहने के इच्छुक लोगों को जाग्रत करने में लगायी जाये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior

http://dpkraj.blogspot.com
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