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Friday, July 10, 2009

चाणक्य नीति-अपने अच्छे बुरे काम के लिए आदमी ख़ुद ही जिम्मेदार (apne kam ke liye aadmi khud jimmedar-chankya niti

जन्ममृत्यु हि यात्येको भुनक्त्येकः शुभाऽशुभम्।
नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम्।।

हिंदी में भावार्थ-मनुष्य अकेला ही जन्म लेकर मुत्यु को प्राप्त होता है। अपने हाथ से ही अकेले शुभ अशुभ कर्म करता है और अपने पाप पुण्य का फल अकेले ही भोगता और मोक्ष प्राप्त करता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय-जन्म के साथ ही मनुष्य के अनेक प्रकार के संबंध स्थापित होते हैं और मृत्यु के साथ ही बिखर जाते हैं। मनुष्य जन्म से स्थापित इन्हीं संबंधों को सत्य मानकर उनके इर्दगिर्द घूमते हुए परमात्मा की भक्ति से जीवन भर विरक्त रहता है। वह अपने लिये जीवन का सुख केवल इन्हीं संबंधों में ढूंढता है जो कभी नहीं मिलता। कहीं दायित्व तो कहीं अधिकार के नाम पर मनुष्य जीवन भर इन संबंधों में लिप्त रहता है पर उसे मिलता कुछ नहीं है कभी तो उसके लिये यह संबंध तनाव का कारण भी बनते हैं।
अपने परिवार के आहार विहार के लिये मनुष्य हर तरह के कर्म करता है। कहीं शिष्टाचार तो कहीं भ्रष्टाचार करने के लिये तत्पर मनुष्य यह नहीं जानता कि उसके फल और कुफल के लिये वह स्वयं जिम्मेदार होगा। महर्षि बाल्मीकि का चरित्र सभी जानते हैं। वह एक दस्यु के रूप में अपने परिवार वालों के लिये कमाई करते थे। एक बार जब उन्होंने कुछ साधुओं को पकड़ लिया और उन्होंने उनसे कहा कि ‘अपने परिवार के सदस्यों से पहले पूछकर आओ कि क्या तुम्हारे कुफल में वह भागीदार बनेंगे।
महर्षि बाल्मीकि ने जब अपने परिवार के सदस्यों से उक्त प्रश्न किया तो सभी ने उनको ‘ना’ में उत्तर दिया। वहां से उनको ऐसा ज्ञान प्राप्त हुआ कि उन्होंने रामायण जैसा महाग्रंथ रच डाला और उनका नाम आज भी जाना जाता है। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य अपने कर्म के लिये स्वयं ही जिम्मेदार होता है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

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