आज गांधी जयंती पर 25 सितंबर से प्रारंभ स्वच्छता सप्ताह
का समापन हो रहा है। पिछले 2 अक्टूबर को जो
स्वच्छता अभियान प्रारंभ हुआ था उसका आंकलन करें तो परिणाम ठीकठाक रहे हैं। कम से
कम राज्य प्रबंध के स्तर पर संस्थायें
स्वच्छता को एक आवश्यक विषय मान रही हैं जबकि पहले उनमें अधिक जागरुकता नहीं
थी। लोगों में भी चेतना आयी है पर जितनी
अपेक्षित थी नहीं दिखाई दे रही।
हम जब स्वच्छता की बात करते हैं तो यह बता दें कि बाह्य तथा आंतरिक
स्वच्छता जीवन का अभिन्न हिस्सा है। एक
योग साधक तथा गीता ज्ञानाभ्यासी होने पर अगर हम लिखने बैठें तो पूरा ग्रंथ लिख
जायें पर उससे समाज लाभान्वित होगा इसकी संभावना नहीं है। जब हमारी देह, मन और विचार में अस्वच्छता होती है उसे हम
स्वयं नहीं देख पाते। स्वयं की दुर्गंध
अनुभूति मनुष्य के चेतनभाव से संपर्क नहंी कर पाती वरन् दूसरे परेशान होते हैं।
श्रीमद्भागवत गीता में स्वच्छ स्थान का चयन करने वाला ज्ञानी माना गया है। अब
ज्ञानी को स्वच्छ स्थान नहीं मिलेगा तो वह स्वयं तो करेगा ही वरना वह अपने अंतर्मन
में आत्मग्लानि के बोध से ग्रस्त होगा।
ज्ञानी का यह भी काम है कि वह जहां गंदगी करे वहां सफाई भी करे। उसे इस बात की परवाह नहीं करना चाहिये कि उसके
परिश्रम का दूसरे को लाभ मिलेगा।
हमने देखा है कि प्रातःकाल ही नहा धोकर पूजा पाठ करने वालों के चेहरे पर एक
अजीब प्रकार का आत्मविश्वास दिखता है।
जबकि देर से उठने और नित्य क्रिया करने वालों में वैसी ऊर्जा नहीं दिखाई
देती। बड़े बड़े शहरों के अनेक आधुनिक इलाके
जरूर चमकते हैं पर उनके दूरदराज के इलाके छोटे शहरों की अपेक्षा अत्यंत गंदे होते
हैं। अनेक बड़े शहरों में तो श्रमजीवी इतने
गंदे इलाके में रहते हैं कि वहां स्वस्थ जीवन की कल्पना करना ही निरर्थक लगती
है। अभी दिल्ली में डेंगू बुखार की चर्चा
हो रही है पर हमारा अनुमान है कि उससे कई गुना तो मलेरिया सहित अन्य मौसमी
बीमारियों के लोगों की संख्या अधिक होगी जिनके कीटाणु गंदगी पर ही ज्यादा पनपते
हैं।
बहरहाल हमारा मानना है कि स्वच्छता अभियान में निरंतर सक्रियता जरूरी है और
इसमें राजकीय लोगों से अधिक निजी रूप से जनता को चेतना के साथ गंदगी का निपटारा
करना चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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