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Sunday, October 11, 2015

विशेष रविवारीय दीपकबापू वाणी (Super Sundya Deepak Bapu Wani)



अपने साथी का मनोबल बढ़ायें, कमजोर कंघे भी बोझ उठा लेंगे।
दीपकबापूअहंकार में जीते, लोग संकट में क्यों भीड़ जुटा लेेंगे।
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कोई अंडा चबाये या खाये हलवा, पेशेवर जरूर करेंगे बलवा।
दीपकबापूशेर की खायें जूठन, शातिर भेड़िये पेलते जलवा।।
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लिख लिख कागज किये काले, दूजा तुलसी भया न कोय।
दीपकबापू पाया मान चाकरी से, इतराये जैसे महाकवि होय।।
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पकड़े जायें  नाम होता चोर, छुपे रहे तो कहलाते साहूकार।
दीपकबापूबदनाम डरते हैं, नामी कुकर्म कर भरें हुंकार।।
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भारत की आबादी है जवान, झेले हंसकर सट्टे नशे के बान।
दीपकबापू न रखें बुरा हिसाब, चिंता छोड़ सोयें चादर तान।।
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सड़ा सामान सभी खा रहे, शुद्धता गा गाना भी बजा रहे।
दीपकबापूतन मैला मन छैला, सोई सोच समाज जगा रहे।।
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जिंदगी में बहुत विषय हैं, समझते जिंदगी निकल जायेगी।
दीपकबापूकरें ओम जाप, समझदानी चमक चमक जायेगी।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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