एक अमेरिकी अनुसंधान संस्था के अनुसार भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। इस पर अनेक लोगों को हैरानी होती
है। आमतौर से राजसी कर्म में लगे लोगों की लोकप्रियता समय के साथ गिरती जाती है
जबकि श्रीनरेंद्रमोदी के मामले में यह लक्षण अभी तक नहीं देखा गया। अनुसंधान
संस्था ने इस लोकप्रियता में निरंतरता के कारकों का पता नहीं लगाया पर हम जैसे
अध्यात्मिक साधकों के लिये यह लोकप्रियता जनता से नियमित संवाद के कारण बनी हुई
है। खासतौर से वह नियमित रूप से रेडियो के
माध्यम से जो मन की बात करते हैं उससे आमजन से उनकी करीबी अभी भी बनी हुई है।
कौटिल्य अर्थशास्त्र में कहा गया है कि
----------
वार्ता प्रजा सधयन्ति वार्त वै लोक संश्रय।
प्रजायां व्यसनस्थायां न किञ्चिदपि सिध्यति।।
हिन्दी में भावार्थ-वार्ता ही प्रजा को
साधती है, वार्ता ही लोक को आश्रित करती है। यदि व्यसनी हो जाये तो कुछ भी सिद्ध नहीं
हो सकता।
राजसी कर्म एक ऐसा विषय है जिसमें सभी को एक साथ प्रसन्न नहीं रखा जा सकता
है। लोग आशा रखते हैं किसी की पूरी होती
तो किसी को निराशा हाथ आती है। ऐसी स्थिति
से निपटने का एक ही उपाय रहता है कि गुड़ न दे तो गुड़ जैसी बात दे। आमतौर जीवन निर्वाह के लिये राजसी कर्म करना ही
पड़ता है। हर व्यक्ति अपने परिवार, समाज, या सार्वजनिक जीवन में राजसी पद पर होता ही है। ऐसे में उसे अपने पर आश्रित
लोगों के साथ सदैव वार्ता करते रहना चाहिये।
किसी को उसकी सफलता पर बधाई तो देना चाहिये पर निराश व्यक्ति का भी मनोबल
बढ़ाना भी आवश्यक है। मनुष्य अपनी वाणी से
न केवल अपने बल्कि दूसरे के भी काम सिद्ध कर सकता है पर अगर वह व्यसनी हो जाये तो
सारे प्रयास निरर्थक हो जाते हैं।
-------------
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
No comments:
Post a Comment