मजदूर नेता निंरतर आंदोलन चलाने में दैहिक तथा मानसिक श्रम से बचने के लिये
हड़ताल करवाते हैं। मजदूरनेता अब कमरे के अंदर और बाहर अलग रवैये के कारण
श्रमजीवियों के विश्वासपात्र नहीं रहे। श्रम संगठनों के नेता भारतीय इतिहास में
मजदूरों के हित के लिये हुए एक भी सफल आंदोलन का नाम नहीं बता सकते। हमारा मानना
है कि प्रबंधक अगर श्रमिक वर्ग से से सीधे
संपर्क में रहकर उनकी समस्यायें हल करें तो मजदूर नेता बेकार हो जायेंगे। कथित
श्रमिकनेता अधिकारी तथा कर्मचारी के बीच सेतु की बजाय दलाल बनकर अपना हित साधते
हैं। उनकी विश्वसनीयता कम हुई है। हालांकि हमारा मध्यम तथा मजदूर वर्ग की खुशहाली
के बिना देश खड़ा नहीं रह सकता इसलिये उस पर ध्यान देना चाहिये। बंद और हड़ताल से
जनमानस में कर्मचारियों की छवि खराब होने के साथ सहानुभूति भी खत्म होती है।
देश का प्रबंध दिल्ली से चले या नागपुर से आम आदमी को तो अपने हित से मतलब
है। राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघ एक सामाजिक संगठन है। समाज निर्माण में राजसीकर्म
आवश्यक है जो राजसी बुद्धि से ही होते हैं। वनरैंकवनपैंशन पर राष्ट्रीयस्वयंसेवक
संध के प्रयासों से यह जाहिर हो गया है कि वह राष्ट्रवाद का पोषक है। आमभारतीय
नागरिक की दृष्टि में राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघ में एक ऐसा संगठन है जो भारतीय ज्ञान, दर्शन और समाज की रक्षा
के लिये काम करता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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