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Monday, July 18, 2011

मनुस्मृति-अपनी आंखों का पानी से आचमन करते रहना चाहिए (pani se ankhon ka achman-manu smriti)

          वायु तथा जल को न केवल जीवन का आधार माना गया है कि बल्कि उनको ओषधि भी कहा जाता है। जिस तरह प्रातः प्राणायाम से शुद्ध वायु के प्रवेश से शरीर और मन के आंतरिक विकार बाहर निकलते हैं उसी तरह नहाने के दौरान जल के उपयोग से बाहरी अंगों पर शुद्धता आती है। आधुनिक विज्ञान जल की उपयोगिता को लेकर अनेक अनुंसधान कर चुका है। हालांकि हमारे अध्यात्मिक ग्रंथों में भी इस विषय पर अनेक बातें कही गयी है।
          मनु स्मृति में कहा गया है कि
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            कृत्वा मूत्रं पूरीपं वा खान्याचान्त उपस्पृशेत्।
            वेदमध्येध्माणश्च अन्नमश्नंश्च सर्वदा
       "मल मूत्र करने के बाद व्यक्ति को सदैव हाथ धोकर आचमन करने के साथ ही पानी का स्पर्श आंखों पर करना चाहिए। सदैव वेद पढ़ने तथा भोजन करने से पहले भी हाथ धोकर आचमन करना चाहिए।"
                आजकल कंप्यूटर का उपयोग बढ़ता जा रहा है पर उससे होने वाली हानियों से रोकने और बचने के उपाय बहुत कम  लोग जानते हैं। कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि कंप्यूटर का उपयोग करने वालों को बीस मिनट से अधिक उस पर काम करने के बाद दो मिनट आंखें बंद रखना चाहिए। इसके अलावा कंप्यूटर से उठकर बाहर आसमान में ताकना चाहिए ताकि आंखों के उन सूक्ष्म तंतुओं का विस्तार होता है जो काम के दौरान सिकुड़ जाते है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही गयी है कि कंप्यूटर पर काम करने वालों को अपनी आंखों में पानी की छींटें मारते रहना चाहिए। कंप्यूटर पर काम करते हुए आंखों में जल सूखने लगता है और आंखों में छींटे मारने से वहां ताजगी आती है। मनृस्मृति में भी कहा गया है कि वेद आदि का अध्ययन करने से पहले और बाद दोनों ही समय आंखों में जल का प्रवेश कराना चाहिए। यही बात हम कंप्यूटर पर काम करते समय भी लागू कर सकते हैं। ऐसे प्रयासों से बहुत सीमा तक कंप्यूटर से होने वाली हानियों से बचा जा सकता है।
लेखक संकलक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा  'भारतदीप',ग्वालियर
Editor and writer-Deepak Raj Kukreja 'Bharatdeep'
http://deepkraj.blogspot.com
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