क्यूबा का तानाशाह फिदेल कास्त्रो स्वर्ग सिधार गया। हमारी दृष्टि से वह दुनियां का ऐसा तानाशाह रहा जिसने सबसे लंबी अवधि तक राज्य किया। वामपंथी विचाराधारा का प्रवाह ऐसे ही लोगों की वजह से हुआ है जो यह मानते हैं कि दुनियां के हर आदमी की जरूरत केवल रोटी होती है-कला, साहित्य, फिल्म और पत्रकारिता में स्वतंत्रता की अभियक्ति तो ऐसे तानाशाह कभी नहीं स्वीकारते। हमारा अध्यात्मिक दर्शन कहता है कि मनुष्य तथा पशु पक्षियों की इंद्रियों में उपभोग की प्रवृत्ति जैसी होती हैं, अंतर केवल बुद्धि का रहता है जिस कारण मनुष्य एक पशु पक्षी की अपेक्षा कहीं अधिक व्यापक रूप से संसार में सक्रिय रहता है। वामपंथी मानते हैं कि मनुष्य की इकलौती जरूरत रोटी होती है उसे वह मिल जाये तो वही ठीक बाकी बाद की बात उसे सोचना नहंी चाहिये वह तो केवल राज्य प्रबंध का काम है। इसके बाद वामपंथी शीर्ष पुरुष सारे बड़े पद हड़प कर प्रजा को बंधुआ बना लेते हैं।
वामपंथी तानाशाह मनुष्य को पशु पक्षियों की तरह केवल रोटी तक ही सीमित देखना चाहते हैं। वाणी की अभिव्यक्ति प्रतिकूल होने पर वह किसी की हत्या भी करवा देते हैं। कास्त्रो एक खूंखार व्यक्ति माना जाता था। हमारे देश के वामपंथी विचाराकों का वह आदर्श है। यह अलग बात है कि उसके मरने के बाद अपने ही देश के लोगों पर किये गये अनाचार की कथायें जब सामने आयेंगी तब वह उसे दुष्प्रचार कहेंगे। कास़्त्रों ने क्यूबा को एक जेल बनाकर रखा था। उसके राज्यप्रबंध की नाकामियों से ऊबे लाखों शरणार्थी अमेरिका जाते रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कास्त्रो की मौत के बाद क्यूबा एक ताजी आजादी की सांस ले सकेगा।
----
No comments:
Post a Comment