अब गर्मी अपनी पूरी ताकत के साथ धरती के इंसानों पर आग बरसाने वाली है। गर्मी की मार तन तथा मन को जलाती है जिससे विचारों भी राख होने लगते है। अंतर्मन में व्यथा तो बाहर अग्निकथा एक साथ त्रास देती हैं। इधर समाचार चैनल दाल के महंगे होने का शोर मचा रहे हैं-न भी होती है तो हो जायेगी। वैसे तो कहा जाता है कि ‘कम खाओ, गम खाओ’। गर्मी में यह सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से सही काम करता है। अलबत्ता पानी जमकर पीने की सलाह दी जाती है पर जलसंकट को देखते हुए पहले सोचना पड़ता है। देश के 33 फीसदी में भारी जलसंकट है। जहां नहीं है वहां भी सभी जगह समान मात्रा में उपलब्ध नहीं है।
इस समय बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है। परिश्रमी हो या अमीर दोनों ही अपनी अपनी स्थितियों के अनुसार इसका शिकार बनते हैं। ऐसे में मध्यम कार्यशील भी धूप छांव के साथ संघर्ष कर जीवन बचाते हैं। हमारी राय है कि स्वयं व परिवार को बचाना है तो सुबह योगाभ्यास करने के साथ ही दिन में समय मिलने पर ध्यान लगाना चाहिये ताकि मान शांति रहे।
इधर गर्मियों में जिस तरह देश में भवननिर्माताओं की ठगी, बेईमानी व धोखाधड़ी की कथायें सामने आ रही हैं उसके बाद यह कहना ही पड़ता है कि कलियुग नहीं अब कालयुग चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि अर्थशास्त्री व समाजशास्त्री गरीबों के कल्याण की बात करते हैं पर जिस मध्यम वर्ग पर मनुष्य समाज का धार्मिक, सामाजिक व सांस्कारिक आधार है उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता। मध्यम वर्ग के भी अब तीन रूप-उच्च मध्यम, मध्य मध्यम व निम्न मध्यम-दिखते है। तीनों के सदस्य अब भारी संकट में है। इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि भारतीय समाज भारी संकट में क्योंकि उसका आधार स्तंभ मध्यम अस्तित्व का संघर्ष कर रहा है जिसमें उसे अब कहीं से सहायता नहीं मिल रही। जिस तरह भवननिर्माताओं ने अपने ग्राहकों का शोषण किया होता तो भी चल जाता पर उन्होंने तो एक तरह से ठगा है।
कुछ लोग कह रहे हैं कि भवननिर्माताओं पर कार्यवाही के लिये कानून बने। हमारा पूछना है कि क्या ठगी रोकने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है जो इस तरह की बात कर उन्हें बचाया जा रहा है। हम तो यह कहते हैं कि एक तरह से ठगों ने अब हर तरह के व्यापार पर कब्जा कर लिया है जिससे मध्यमवर्ग के लिये अपना जीवन संकटों के पार लगाना कठिन हो रहा है। हमारा विचार है कि मध्यमवर्ग के लोगों के प्रति अब सजग होकर उनकी सहायता करना चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
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