यह संसार प्राकृतिक नियंत्रक परमात्मा के हाथ में है-ऐसा हमारा दर्शन मानता है। दर्शन के विपरीत भी कुछ विचाराधारायें हैं जिनमें एक मानती है कि यह सारा संसार पूंजीपतियों के हाथ में है। अनेक तरह के अंधविश्वासों तथा भ्रमों के बीच यह एक सत्य है कि इस संसार में मायापतियों का वर्चस्प बना रहता है। पहले मायापतियों का अपने ही क्षेत्र में वर्चस्व होता था पर अब वैश्वीकरण हो गया है। टीवी चैनलों पर अक्सर कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध होगा। हम नहीं मानते क्योंकि लगता है कि मायापति अब कला, साहित्य, पत्रकारिता, धर्म, समाजसेवा तथा राज्य प्रबंध के शीर्ष पुरुषों पर प्रभाव रखते है। यह तो पता नहीं कि कितना प्रभाव है पर इतना जरूर दिखता है कि वह इतना जरूर है कि वह अपनी शर्तें मनवा सके।
हिन्दी में कहें तो यह संसार का संचालन अब चार ‘प’-पूंजीपति, प्रचारक, पराक्रमी पद प्रबंधक तथा पतित मनुष्यों और अंग्रेजी में कहें चार ‘एम’-मनीमेकर, मीडिया, मेनैजर, माफिया के ( 4M-MoneyMaker, Media,MenManager and Mafia)संयुक्त उद्यम से ही प्रायोजित हो रहा है। पूंजीपतियों के पास प्रचार का प्रबंधन भी है तो पराक्रमियो के समूह भी उन निर्भर है। इसलिये अनेक बार प्रचार के पर्दे हम समाचार या वादविवाद देखते हैं तो लगता है सह प्रायोजित है। अनेक बार तो यह लगता है कि अनेक पराक्रमी इन पूंजीपतियों के प्रचारपर्दे को सजाने के लिये आपस में पहले द्वंद्व फिर वार्तालाप करने लगते हैं। हमने अनेक पश्चिमी बैंकों की सूची देखी है जिसमें अनेक बड़े देशों के पराक्रमी पद प्रबंधकों के नाम उसमें शोभायमान थे। अतः निष्कर्ष निकाला कि जब यह पराक्रमी अपने ही लोगों के प्रति अविश्वास रखते के अलावा उनका शोषण करते हैं तब उनके इतना नैतिक बल हो ही नहीं सकता कि युद्ध लड़कर अपनी गर्दन फंसायें। पूंजीधारी दिखने में कैसा भी लगे पराक्रमी नहीं हो सकता।
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Po1971 में जनतापार्टी की सरकार बनी थी। उसके एक स्वास्थ्यमंत्री समाजवादी थे। वह अपनी ही सरकार गिराने पर उतारु हो गये। उस समय समाचारों का ऐसा दौर चला कि हर पल उनके आने जाने और मिलने की खबर मिलने लगी। यहां तक कि वह किससे मिलने जा रहे हैं, उसके घर से कितनी दूर उनकी कार है, वह किसके परिसर में दाखिल हो रहे है तथा कितनी देर वहां बैठे आदि समाचार आ रहे थे। उस समय आश्चर्य हो रहा था। अब अनेक बार ऐसे अनेक समाचार आते हैं जिसमें किसी के घर से निकलने, रास्ते में होने, किसी के दरवाजे के अंदर तक पहुंचने फिर अंदर बैठक के समय तक का हिसाब आने लगता है। स्थिति यह हो गयी है कि दो व्यक्ति एक मकान में रहते हैं पर एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने की खबर आने लगी हैं। लड़ाई और प्रेम का यह खेल प्रायोजित है या नहीं पर इतना तय है कि इस खबर के प्रचार में विज्ञापनों का अच्छा समय पास हो रहा है। ऊपर लिखे गये हमारे विचार पुराने हैं और उसका इन नयी घटनाओं से कोई संबंध नहीं है।
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