दिल के दरवाजे
बंद कर लिये
प्यार की दस्तक
अब वह कहां सुनेंगे।
संबंध के बिगड़े हिसाब
दोस्त तब वफा के
वादे क्यों बुनेंगे।
कहें दीपकबापू जज़्बात से
जीने की आदत
नहीं रही इंसानों में
लाशों में ढूंढ रहे दुआ
जिंदादिली वह क्यों चुनेंगे।
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संकलक,लेखक संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर(मध्यप्रदेश) Writer and Editor-Deepak Raj Kukreja, BharatDeep, Gwalior (Madhya Pradesh)
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