धनिकों ने बना लिये
धरती खरीदकर
स्वर्ग अपने।
छोड़ दिये बाहर
अपने मेहनतकश
धूप में तपने।
कहें दीपकबापू चिंत्तन से
उनका नाता कहां रहता
लगे रहते दिन भर
देखते जो स्वार्थ के सपने।
---------------
धरती खरीदकर
स्वर्ग अपने।
छोड़ दिये बाहर
अपने मेहनतकश
धूप में तपने।
कहें दीपकबापू चिंत्तन से
उनका नाता कहां रहता
लगे रहते दिन भर
देखते जो स्वार्थ के सपने।
---------------
No comments:
Post a Comment