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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, June 24, 2016

धनिकों के सपने-हिन्दी व्यंग्य कविता(Dhanikon ke Sapane-Hindi Vyangya Kavita)


धनिकों ने बना लिये
धरती खरीदकर
स्वर्ग अपने।

छोड़ दिये बाहर
अपने मेहनतकश
धूप में तपने।

कहें दीपकबापू चिंत्तन से
उनका नाता कहां रहता
लगे रहते दिन भर
देखते जो स्वार्थ के सपने।
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