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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, March 27, 2015

लोगों के रुदन का प्रायोजित प्रचार-हिन्दी लेख(A Hindi article on world cricket cup in australia)



          अगर प्रचार माध्यमों की बात माने तो एसीबी से बीसीसीआई की क्रिकेट टीम-प्रचार माध्यम ही इन्हें आस्ट्रेलिया तथा भारत की टीम कहकर पुकारते हैं-हारने पर लोग दुःखी और अप्रसन्न है। हमारा मानना है कि यह भी प्रायोजित प्रचार हैं।  अगर सच में लोग दुःखी हैं तो चार अप्रैल से प्रारंभ क्लब स्तरीय प्रतियोगिता में स्टेडियम खाली मिलेंगे। लोग उन विज्ञापनों का सामान खरीदना बंद कर देंगे जिनके प्रचार क्रिकेट खिलाड़ी हैं।  ऐसा होगा नहीं! टीवी चैनलों पर क्लब स्तरीय प्रतियोगिता का प्रचार जारी है।  जिन खिलाड़ियों पर लोग नाराज है वह हंसते हुए इस प्रतियोगता में आने की प्रेरणा देते हुए विज्ञापनों में नज़र आ रहे हैं।  आप देखना इन पिटे हुए हुए खिलाड़ियों को देखने लोग फिर टीवी पर जुटेंगे।
          अनेक लोगों ने अपने टीवी तोड़ डाले। कई लोग रो रहे थे। हैरानी है यह देखकर लोग कितने हल्के विषयों पर अपना दिल लगा देते हैं।  हारने वाले खिलाड़यों को शायद इतनी परवाह नहीं होगी क्योंकि वह तो क्लब स्तरीय प्रतियोगिता से होने वाली कमाई की सोचना शुरु कर चुके होंगे।  एक बार विज्ञापन कंपनियां नये नये अनुबंधों के लिये उनके पास जुटना शुरु होंगी।  सच तो क्रिकेट मैचों में दिल लगाकर उनको देखना ऐसे ही जैसे किसी बारात में दूल्हा निश्चिंत हो और बाराती परेशानी में इधर उधर डोल रहे हों।  बीसीसीआई के क्रिकेट खिलाड़ी ऐसे दूल्हे हैं जिनकी बारात यहां से हटी तो दूसरी जगह जायेगी।  वह बेपरवाह हैं तो क्यों आम लोग अपना दिमाग खराब कर रहे हैं।
बीसीसीआई की टीम के दूल्हों की दैवीय शक्ति का प्रचार खूब हुआ।  कल सभी नाकाम हो गये।  कल जिसे तूफानी बल्लेबाज को खेलना था वह एक रन बनाकर ही लौट गया।  भले ही सामान्य मैचों में उसने शतक बनाये हों पर अवसर पर अगर वह कुछ खास नहीं कर सका तो इसका मतलब कि उसे प्रचार माध्यम ही महान बनाये दे रहे थे वरना तो वह एक सामान्य खिलाड़ी ही है।  हमारा मानना है कि क्रिकेट एक खेल है पर जिसे हम पर्दे पर देख रहे हैं वह व्यवसायिक मनोरंजन ही है। जिस तरह किसी फिल्म के पिटने पर कोई दर्शक दुःखी नहीं होता उसी तरह विश्व कप नाम की इस फिल्म में बीसीसीआई की क्रिकेट टीम की भूमिका पिटने पर ही अफसोस कर अपना खूना जलाना अज्ञान का प्रमाण है। वैसे हमारा मानना है कि इस हार पर लोगों के रुदन का भी प्रचार विज्ञापन का समय पास करने के लिये है।

दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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