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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, June 12, 2016

हिंसक तत्वों की पहचान अलग अलग देखने की कोशिश-हिन्दी लेख (Terrorism And Gental Socity-Hindi Article)

                             अमेरिका के फ्लोरिडा के एक क्लब में एक बंदूकधारी ने गोलीबारी की जिसमें 20 लोग मरे तथा 42 हताहत हुए। पुलिस की गोलीबारी में बंदूकधारी भी मारा गया। सीएनएन समाचार चैनल में हमने रात्रिकालीन हलचल के बाद फ्लोरिडा की सुबह भी देखी। ट्विटर पर जाकर वहां के रुझान भी देखे। इस घटना के तीन पहलू बताये जा रहे हैं’-घरेलू हिंसा, घरेलू आतंकवाद तथा अरेबिक धार्मिक आतंकवाद। क्रमशः गोरा, काला अथवा अरेबिक पहचान का बंदूकधारी होने पर इस घटना का रूप तय होगा।
                    विदेशी विद्वानों के दबाव में हमारे यहां भले ही कहा जाता है कि हिंसक तत्व की पहचान धर्म, जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर नहीं करना चाहिये पर वहां स्वयं ही विचाराधाराओं के आधार पर ढेर सारे संघर्ष है। यह दिलचस्प है कि फ्लोरिडा में हताहतों की संख्या के आधार वह कुछ विशेषज्ञ बिना जांच के ही धार्मिक आतंकवाद से जोड़ रहे हैं। हमारे यहां सामाजिक जनसंपर्क पर जिस तरह ऐसी घटनाओं पर मतभिन्नता दिखई देती है वैसी अमेरिका में भी दिखाई दे रही है। इस चर्चा से अलग बात यह कि कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर हम भारत में चिंतित रहते हैं वैसी चिंता अब अमेरिका में भी दिखाई दे रही है। इधर एक अपराधिक जांच वाले चैनल को भी हम देखते हैं जिसमें अमेरिका में अकारण तथा शौक से ही अपराध होते हैं जो कम से कम भारत में नहीं दिखाई देते। धारावाहिक कातिलों के किस्से जितने हमने अमेरिका के देखे हैं जो केवल हत्या के लिये हत्या करते हैं, उतने भारत में नहीं सुने। बहरहाल फ्लोरिडा के क्लब में हुआ हमला दर्दनाक है।
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