अमेरिका में राष्ट्रपति के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि ‘मैं हिन्दू तथा भारत का प्रशंसक हूं।’ विश्व के किसी बड़े विदेशी नेता ने ‘हिन्दू’ शब्द से प्रेम का जो प्रदर्शन किया है उससे अनेक लोगों की छाती पार सांप लौट जायेगा। वैसे आज तक हमने किसी भारतीय नेता के मुख से नहीं सुना कि वह हिन्दू धर्म का प्रशंसक है इसलिये डोनाल्ड ट्रम्प के बयान ने चौंका दिया-हालांकि वह सीधे अरेबिक विरोधी छवि के माने जाते हैं इसलिये हिन्दू धर्म की प्रशंसा का यही अर्थ है कि वह मानकर चल रहे हैं कि दोनों की विचाराधारा में कहीं न कहीं संघर्ष है। भारत में अन्य की तो छोड़िये हिन्दू धर्म की रक्षा का दावा करने वाले राष्ट्रवादी भी यह सच कहने से संकोच करते हैं।
अब हम पाकिस्तान की चर्चा करें। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर चर्च सुने तो वहां विद्वान स्पष्टतः हिन्दू धर्म के प्रति घृणा व्यक्त करते हैं। अगर हम उनकी तर्कों का विश्लेषण करें तो यह साफ हो जाता है कि भारत के हिन्दू बाहुल्य रहते कभी मित्रता तो हो ही नहीं सकती। पाकिस्तान आतंकवादी देश है कहकर हम बच निकलते हैं पर सच यह है कि वह हिन्दू विरोधी विचार का संवाहक है। वह आतंकवाद को संरक्षण इसलिये देता है कि हिन्दू बाहूल्य भारत को तबाह किया जा सके। भारत के नेता यह सच बताने में डरते हैं कि पाकिस्तान भारत के साथ हिन्दू धर्म का भी बैरी है। वह कश्मीर पर कब्जा इसलिये करना चाहता है कि वहां हिन्दू जनसंख्या कम है-इतना ही नहीं आतंकवाद के प्रवाह के चलते वहां से पंडितों का सामूहिक पलायन भी हुआ। हैरानी इस बात की कि आज भी हिन्दूत्व के रक्षक पंडितों की वापसी के बिना कश्मीर समस्या के हल की बात नहीं कह पाते।
हमारा मानना है कि वह हिन्दू हिन्दू कहकर अमारे पीछे पड़ा है तो फिर हम क्यों पंथनिरपेक्षता की दुहाई देकर अपना मुंह छिपाते हैं। अगर पाकिस्तान का नाम विश्व के पटल से मिटाना है तो हमें भी हिन्दू की तरह दृढ़ता से योद्धा बनकर उसे न केवल अस्त्र शस्त्र वरन् शास्त्र के ज्ञान से उसके सामने खड़ा होगा। इतना ही नहीं चीन को भी यह समझाना होगा कि बौद्ध बाहुल्य होने के कारण हम उसके प्रति सद्भाव रखते हैं-यह तभी संभव है जब हम हिन्दू छवि के साथ उसके साथ व्यवहार करें।
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एक सच्चा हिन्दू वैश्विकवादी होता है जो भक्ति भाव से समाज के लिये निष्काम भाव से काम करता है। वह संकीर्ण विचार का नहीं होता। हिन्दू हमेशा ही अपने जीवन में संघर्ष तथा समाज के लिये कल्याण के लिये तत्पर रहता है। वह स्त्री-पुरुष का भेद नहीं करता।
अमेरिका में राष्ट्रपति के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि ‘मैं हिन्दू तथा भारत का प्रशंसक हूं।’ विश्व के किसी बड़े विदेशी नेता ने ‘हिन्दू’ शब्द से प्रेम का जो प्रदर्शन किया है उससे अनेक लोगों की छाती पार सांप लौट जायेगा। वैसे आज तक हमने किसी भारतीय नेता के मुख से नहीं सुना कि वह हिन्दू धर्म का प्रशंसक है इसलिये डोनाल्ड ट्रम्प के बयान ने चौंका दिया-हालांकि वह सीधे अरेबिक विरोधी छवि के माने जाते हैं इसलिये हिन्दू धर्म की प्रशंसा का यही अर्थ है कि वह मानकर चल रहे हैं कि दोनों की विचाराधारा में कहीं न कहीं संघर्ष है। भारत में अन्य की तो छोड़िये हिन्दू धर्म की रक्षा का दावा करने वाले राष्ट्रवादी भी यह सच कहने से संकोच करते हैं।
अब हम पाकिस्तान की चर्चा करें। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर चर्च सुने तो वहां विद्वान स्पष्टतः हिन्दू धर्म के प्रति घृणा व्यक्त करते हैं। अगर हम उनकी तर्कों का विश्लेषण करें तो यह साफ हो जाता है कि भारत के हिन्दू बाहुल्य रहते कभी मित्रता तो हो ही नहीं सकती। पाकिस्तान आतंकवादी देश है कहकर हम बच निकलते हैं पर सच यह है कि वह हिन्दू विरोधी विचार का संवाहक है। वह आतंकवाद को संरक्षण इसलिये देता है कि हिन्दू बाहूल्य भारत को तबाह किया जा सके। भारत के नेता यह सच बताने में डरते हैं कि पाकिस्तान भारत के साथ हिन्दू धर्म का भी बैरी है। वह कश्मीर पर कब्जा इसलिये करना चाहता है कि वहां हिन्दू जनसंख्या कम है-इतना ही नहीं आतंकवाद के प्रवाह के चलते वहां से पंडितों का सामूहिक पलायन भी हुआ। हैरानी इस बात की कि आज भी हिन्दूत्व के रक्षक पंडितों की वापसी के बिना कश्मीर समस्या के हल की बात नहीं कह पाते।
हमारा मानना है कि वह हिन्दू हिन्दू कहकर अमारे पीछे पड़ा है तो फिर हम क्यों पंथनिरपेक्षता की दुहाई देकर अपना मुंह छिपाते हैं। अगर पाकिस्तान का नाम विश्व के पटल से मिटाना है तो हमें भी हिन्दू की तरह दृढ़ता से योद्धा बनकर उसे न केवल अस्त्र शस्त्र वरन् शास्त्र के ज्ञान से उसके सामने खड़ा होगा। इतना ही नहीं चीन को भी यह समझाना होगा कि बौद्ध बाहुल्य होने के कारण हम उसके प्रति सद्भाव रखते हैं-यह तभी संभव है जब हम हिन्दू छवि के साथ उसके साथ व्यवहार करें।
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एक सच्चा हिन्दू वैश्विकवादी होता है जो भक्ति भाव से समाज के लिये निष्काम भाव से काम करता है। वह संकीर्ण विचार का नहीं होता। हिन्दू हमेशा ही अपने जीवन में संघर्ष तथा समाज के लिये कल्याण के लिये तत्पर रहता है। वह स्त्री-पुरुष का भेद नहीं करता।
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