चीन बहुत घबड़ाया हुआ है। दरअसल 1962 में तिब्बत पर कब्जा कर उसने विश्व में अपनी शक्ति का तिलिस्म बनाया था जो अब तब विस्तार पा रहा है। जहां तक भारत से युद्ध जीतने वाली बात है हम अब उस पर यकीन नहीं करते क्योंकि हमने समय समय इस संबंध में अनेक लेख पड़े हैं जिसमें यह बताया गया है कि उस समय के राजनीतिक नेतृत्व ने एक तरह से उसके सामने समर्पण किया था। तिब्बत की तो कोई सेना ही नहीं थी वहां चीनी सैनिकों ने बौद्ध मठों के सन्यासियों को बुरी तरह से मारा और उनके घर जल दिये। उसके बाद चीनी सेना ने वियतनाम पर हमला किया पर तीन दिन में हार कर बैठ गया। उसके बाद चीनी सेना से सबसे बड़ा काम किया वह यह कि अपने ही देश के लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों को निर्ममता से मार दिया। सीधी बात कहें तो सामने से आ रहे हमले के सामने वह कभी चले नहीं।
हमने चीनी सेना के प्रवक्ता का बयान सुना। उसे भारतीय प्रचार माध्यम धमकी बता रहे हैं जबकि हमें तो वह स्यापा लग रहा है। उसके चेहरे से देखकर लगा कि वह वह बहुत डरा हुआ है। अपनी सेना की शक्ति बखान करने वाले के चेहरे पर सक दृढ़ता का भाव होना चाहिये जबकि वह घबड़ाया हुआ दिख रहा था। केवल चार भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पर खड़े होकर जिस चीन को हिलाया है वह ताकतवर नहीं हो सकता। दरअसल चीन के घबड़ाने की वजह पाकिस्तान हो सकता है। पाकिस्तान मे उसने अपनी सड़क निर्माण कर पाकिस्तान को बंधक रख लिया है। वह विनिवेश के नाम पर पाकिस्तान को कर्ज दे रहा है जिसका भारी भरकम ब्याज वसूल करेगा। दिलचस्प बात यह कि उसने यह कथित विनिवेश वहां के नेताओं की बजाय सेना के दम पर किया है। उसे लगता है कि सेना ही पाकिस्तान का माईबाप है। नवाज की कुर्सी डांवाडोल होने पर चीनी नेताओं ने वहां के सेनाध्यक्ष से बात कर सड़क निर्माण परियोजना की सुरक्षा की बात की थी। इधर भारत तथा अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सेना को कमजोर करना चाहते हैं। भारतीय सेना जब पाकिस्तान को सबक सिखाने निकलेगी तो वह पाकिस्तान का कश्मीर भी छीन लेगी इससे चीन की सड़क भारत की हो जायेगी। चीन के घबड़ाने की वजह यही है। वह कहीं न कहीं से यह आश्वासन चाहता है कि भारत कभी पाक से कश्मीर नहीं छीनेगा। चीनियों को यह अंदाज नहीं है कि भारतीय रणनीतिकार उसे अपने समकक्ष नहीं मानते बड़ा मानना तो दूर की बात है। चीन कभी पहले भारत पर हमला नहीं करेगा यह तय है अलबत्ता उससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। लोग भले ही चीन को ड्रेगन कहें पर हम उसे नहीं मानते।
हमने चीनी सेना के प्रवक्ता का बयान सुना। उसे भारतीय प्रचार माध्यम धमकी बता रहे हैं जबकि हमें तो वह स्यापा लग रहा है। उसके चेहरे से देखकर लगा कि वह वह बहुत डरा हुआ है। अपनी सेना की शक्ति बखान करने वाले के चेहरे पर सक दृढ़ता का भाव होना चाहिये जबकि वह घबड़ाया हुआ दिख रहा था। केवल चार भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पर खड़े होकर जिस चीन को हिलाया है वह ताकतवर नहीं हो सकता। दरअसल चीन के घबड़ाने की वजह पाकिस्तान हो सकता है। पाकिस्तान मे उसने अपनी सड़क निर्माण कर पाकिस्तान को बंधक रख लिया है। वह विनिवेश के नाम पर पाकिस्तान को कर्ज दे रहा है जिसका भारी भरकम ब्याज वसूल करेगा। दिलचस्प बात यह कि उसने यह कथित विनिवेश वहां के नेताओं की बजाय सेना के दम पर किया है। उसे लगता है कि सेना ही पाकिस्तान का माईबाप है। नवाज की कुर्सी डांवाडोल होने पर चीनी नेताओं ने वहां के सेनाध्यक्ष से बात कर सड़क निर्माण परियोजना की सुरक्षा की बात की थी। इधर भारत तथा अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सेना को कमजोर करना चाहते हैं। भारतीय सेना जब पाकिस्तान को सबक सिखाने निकलेगी तो वह पाकिस्तान का कश्मीर भी छीन लेगी इससे चीन की सड़क भारत की हो जायेगी। चीन के घबड़ाने की वजह यही है। वह कहीं न कहीं से यह आश्वासन चाहता है कि भारत कभी पाक से कश्मीर नहीं छीनेगा। चीनियों को यह अंदाज नहीं है कि भारतीय रणनीतिकार उसे अपने समकक्ष नहीं मानते बड़ा मानना तो दूर की बात है। चीन कभी पहले भारत पर हमला नहीं करेगा यह तय है अलबत्ता उससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। लोग भले ही चीन को ड्रेगन कहें पर हम उसे नहीं मानते।
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