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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Thursday, October 09, 2014

हम अमृतसर की यात्रा पर निकलने वाले हैं(my tour for amritsar)


कल से 14 अक्टूबर तक अपना अमृतसर दौरा प्रस्तावित है।  यह पहला अवसर है कि जब अपनी यात्रा की चर्चा अंतर्जार पर कर रहे हैं। इस तरह फेसबुक पर सूचना देते हुए थोड़ा संकोच हो रहा है।  वैसे तो फेसबुक, ब्लॉग और ट्विटर पर एक आभासी दुनियां है जिसकी सत्यता पर विश्वास करना कठिन है।  इस अंतर्जाल पर एक भी ऐसा मित्र नहीं है जो इस लेखक से मिलने को उत्सुक हो।  अमृतसर से कुछ फेसबुकिया मित्र हैं पर उनका नाम पता 635 लोगों की सूची में ढूंढना कठिन है। फिर प्रश्न है कि हमसे कौन मिलना चाहेगा?  अमृतसर में स्वर्ण मंदिर, जलियांवाला बाग तथा कुछ प्रतिष्ठत स्थान हम देखने जायेंगे। कुछ लोग कह रहे हैं कि सीमावर्ती इलाका भी देख आना।  जिस तरह जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान गोलीाबारी कर रहा है उससे सीमावर्ती इलाका शब्द सुनते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है।
      हालांकि यह गोलीबारी सामान्यतः होती रहती है पर इस बार इसके बड़े युद्ध बदल जाने की आशंकायें लग रही है। रक्षा विशेषज्ञ इससे इंकार कर रहे हैं।  कहा जाता है कि कश्मीर मुद्दा ही पाकिस्तान में सेना को सम्माजनक स्थान दिलाता है इसलिये वह गाहेबगाहे यहां अपने कारनामे करती रहती है।  इस बार वह अधिक ही सक्रिय हुई है। इसका कारण यह भी लगता है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संध में स्पष्ट रूप से कह दिया कि यह द्विपक्षीय विषय है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने से कोई लाभ नहीं है।  ऐसा पहली बार हुआ है कि अंतर्राष्ट्रीय संस्था में ही पाकिस्तान के मुद्दे को तो   नकारा गया साथ ही  संयुक्त राष्ट्र संघ के अस्तित्व और महत्व को भी अनेक बातें कहकर चुनौती दी गयी।  जबकि पाकिस्तान इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाये रखना चाहता है।  अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो मामला गौण हो जायेगा और पाकिस्तानी सेना जो इसकी आड़ में लोकतांित्रक ढांचे को सामने रखकर अभी तक जो शासन चलाती रही है अपना अस्तित्व खो बैठेगी।
      पाकिस्तान की सेना के पीछे भारत के छद्म मित्र देश भी हो सकते हैं जिन्हें प्रधानमंत्री श्री मोदी का संयुक्त राष्ट्र संघ के महत्व सीमित रह जाने के कारण उसे विस्तृत रूप देने की सलाह  देना भी अखरा हो।  जिस संयुक्त राष्ट्रसंघ को कश्मीर मामले में माई बाप मान रहा हो उसे ही भारत चुनौती दे रहा है तो इस बात की आश्ंाका पैदा होती ही है कि ऐसी हरकत के पीछे किसी दूसरे देश का इशारा भी हो सकता है।  विश्व के शक्तिशाली देशों ने अभी तक संयुक्त राष्ट्र संघ की आड़ में मानमानी की है जिससे भारत में नाराजगी रहती है और अब  पाकिस्तान के रणनीतिकारों को यह बात समझनी होगी कि भारत से टकराव में अंततः हानि उसी की होनी है।
      इधर उड़ीसा में तूफानी आने की सूचनायें भी मिल रही हैं।  ऐसा लगता है कि अमृतसर की यात्रा से हम जब लौटेंगे तो मौसम में कुछ ठंडक आ जायेगी।  अभी दोपहर की गर्मी पसीना निकाल देती है।  अमृतसर में जो देखेंगे उस पर अपना कोई लेख जरूर लिखेंगे।

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